"पत्रं पुष्पं फलं तोयं..." इत्यस्य संस्करणे भेदः
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पङ्क्तिः ३: | पङ्क्तिः ३: | ||
'''पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति ।''' |
'''पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति ।''' |
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'''तदहं भक्त्युपहृतम् अश्रामि प्रयतात्मनः ॥''' |
'''तदहं भक्त्युपहृतम् अश्रामि प्रयतात्मनः ॥''' |
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'''अर्थ:''' |
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य: मह्यं पत्रं पुष्पं फलं जलं च भक्त्या ददाति अहं भक्तियुक्तं तत् सर्वं स्वीकरोमि। |
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१७:१९, ८ डिसेम्बर् २०१६ इत्यस्य संस्करणं
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पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति । तदहं भक्त्युपहृतम् अश्रामि प्रयतात्मनः ॥
अर्थ: य: मह्यं पत्रं पुष्पं फलं जलं च भक्त्या ददाति अहं भक्तियुक्तं तत् सर्वं स्वीकरोमि।