सम्भाषणम्:चाटुचणकः(शिवः)
विषयः योज्यताम्दिखावट
रामाद्याचय मेदिनीं धनपर्तेर्बीजं बलाल्लाङ्गलम् प्रेतेशान्महिषं तवास्ति वृषभः फालं त्रिशूलं तव । शक्ताहं तव चान्नदानकरणे स्कन्दोऽस्ति गोरक्षणे खिन्नाहं हर भिक्षया कुरु कृषिं गौरीवचः पातु वः ॥
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