भट्टी
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भट्टीकाव्यस्य लेखक।
भट्टीकाव्य
[सम्पाद्यताम्]- इतिहासा-काठ’’-ओद्भूतम, इतरद व सद-असरायम, | कटुर-वरगा-फल’-आयतता, कटुर-उदात्ता -नायकम,
नगर’-अरनवा-सैला’-र्टू, | उदयना-सलिला-क्रीडा-मधु-पाना-रात’-ओटसवाइह, विप्रलंभइर विवाहइस का, कुमार’-ओड़ाया-वर्णनाइह, | मंत्र-दूता-प्रयाण’-अजी-नायक’-अभ्युदयइर अपि; आलम-क्र्तम, आ-संकसीपटम, रसा-भव-निरंतरम, | सरगईर अन-अतिविस्तीर्माइह, श्रव्य-व्र्त्तइह सु-संधिभिह, सर्वत्र भिन्न-व्र्त्तंटाइर उपेटम, loka-रंजनम | कवयम कल्प’-अंतरा-स्थायी जयते सद-अलंकर्ति. || कवयदरसा