जैनदर्शनसूक्तयः (पृथ्वी)
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<Poem> १. गवेन्दृश्रङ्गैर्धरणी न कम्पते । - पद्मपुराणम् ६६.८७ २. बहुरत्ना वसुन्धरा । - दयोदयचम्पूः ६
<Poem> १. गवेन्दृश्रङ्गैर्धरणी न कम्पते । - पद्मपुराणम् ६६.८७ २. बहुरत्ना वसुन्धरा । - दयोदयचम्पूः ६