विपुल-लोचनकं शिखिनो वपु:...
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विपुल-लोचनकं शिखिनो वपु: न पुनरेकमपीक्षणशक्तिकम्।सकलशास्त्रविदस्ति जनस्तथा यदि स आत्मविबोधपराङ्मुख:॥