सामग्री पर जाएँ

अन्वेषणपरिणामाः

  • आपोद्भूतसुतस्य वैरी आपोद्भूतसुतस्य च वैरी । तस्याभरणविरोधीनाथो गकाररूपो पालय माम् ॥ जले उद्भूतस्य नारायणस्य पुत्रस्य ब्रह्मणः पुत्रस्य दक्षस्य शत्रुः...
    ९३२ B (३७ शब्दाः) - ०५:३५, ७ फेब्रवरी २०१३
  • रु-रुरु-वह-ह्री-करस्य, आम-रास-असा, रामस्य, अङ्घ्रिम्, अभ्याजति, न, न, नति--स्थूलम्, उत्रातके, सा ॥ साकेत-त्राण-वेला-जनित-तत-निज-प्राङ्कण-श्री-प्रभासा...
    ७ KB (२८५ शब्दाः) - १८:५८, २५ मे २०१५
  • पादुका ॥ रम्ये, वेश्मनि, पाप-राक्षस-भिदा-सु-आसक्त-धी-नायिका, नन्तुम्, कर्म--दुर्मद-अलस-धियाम्, सा, हन्त, नाथीकृता, सत्-वाट-भ्रमिकासु, तापस-तपः-विस्रम्भ-भू-यन्त्रिका...
    ६ KB (२५२ शब्दाः) - १७:४०, ९ सेप्टेम्बर् २०१६
  • ॐ अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ ऌ ॡ ऎ ए ऐ ऒ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ च छ झ ञ ०-९ वर्गाः ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ऱ ल ळ ऴ व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ 0-9...
    ६ KB (1 शब्दः) - २२:५४, ३ जुलै २०२३
  • प्रहस्तस्त्वामुपस्थितः | तेन दर्शनकामेन अहम् प्रस्थापितः प्रभो || ६-३२-३६ मानमस्ति महारा राजभावात् क्षमान्वित | किंचिद् आत्ययिकम् कार्यम् तेषाम् त्वम् दर्शनम् कुरु...
    ३७३ KB (२१,०८२ शब्दाः) - ०५:५३, ७ फेब्रवरी २०१३
"https://sa.wikiquote.org/wiki/विशेषः:अन्वेषणम्" इत्यस्माद् प्रतिप्राप्तम्